एक जापानी लोमडी, अकिहो निशिमुरा, जब भी उसका प्रेमी अनुपस्थित होता है, खुद को आनंदित करती है। वह आत्म-आनंद में लिप्त होती है, अपनी गीली उंगलियों की खोज करती है, अपने स्पर्श के परमानंद में खो जाती है। उसकी मीठी कराहें कमरे को भर देती हैं, उसकी आत्म-संतुष्टि का एक वसीयतनामा।